थाम लू जिसे वो सही मुकाम अब तक आया नहीं
अपनी ही नज़र में काबिल खुद को कभी पाया नहीं हमने
अपनी ही नज़र में काबिल खुद को कभी पाया नहीं हमने
फैसले हमारे थे ना अब हमारे हो सकेंगे कभी
अपने ही फैसलों से हर मोड़ पर जख्म खाया हमने
अपने ही फैसलों से हर मोड़ पर जख्म खाया हमने
कसूर किसका हैं यह बताना तो मुमकिन नहीं
खैर, हर वक़्त खुद को ही ग़लत पाया हमने
खैर, हर वक़्त खुद को ही ग़लत पाया हमने
जो गुज़र गया वो लम्हा ना लौट कर आएगा कभी
फिर भी क्यूँ एक पल भी नहीं उन्हें भुलाया हमने
फिर भी क्यूँ एक पल भी नहीं उन्हें भुलाया हमने
सफ़र आसा तो नहीं मगर चलना उम्र भर है
सब साथ हैं फिर भी खुद को तन्हा पाया हमने
सब साथ हैं फिर भी खुद को तन्हा पाया हमने
ज़िन्दगी में हमेशा जो चाहो वो मिलना ज़रूरी तो नहीं
वो चाँद ना सही उन सितारों को ही हमराह बनाया हमने !
वो चाँद ना सही उन सितारों को ही हमराह बनाया हमने !