सब पहले अपना सोचते हैं
कभी किसी ने पहले उसका सोचा !!!
वो उनकी दोस्त हैं...
क्यूंकि वो उसके दोस्त होना चाहते हैं ..
क्यूंकि उसमे थोडा प्यार और क़द्र की भावना हैं ..
इसलिए भी की शायद वो अच्छी दोस्त जैसी लगती हैं...
पर इसलिए नही की उसे भी उनकी दोस्ती की ज़रूरत हैं !
उसे भी कोई बेवजह तंग करने वाला चाहिए ..
उसकी भी चाहत हैं की
कोई उसकी आँखों को पीछे से आकर बंद करे
और पूछे - 'बताओ कौन' ?
और वो अपने होठों पर आई अनायास ही मुस्कान
के साथ कहे - "बस वही दोस्त, जिसका मुझे इंतज़ार था..." !
की वो भी बेवजह उनको सता सके
अपना हक़ उनपर उतना ही जाता सके...
सब पहले अपना सोचते हैं
कभी किसी ने पहले उसका सोचा !!!
वो उनकी ज़िम्मेदारी हैं
उनका भरोसा हैं, उनकी इज्ज़त हैं
क्यूंकि वो उनकी अपनी हैं,
शायद भरोसेमंद हैं, सहनशील हैं....
इसलिए वो चिंतित हैं, अत्यंत विचारशील हैं,
इस बात पर गंभीर हैं की क्या होना चाहिए और क्या नहीं...
मगर मुट्ठी भर आसमान दे कर
उसे उड़ने को आज़ाद छोड़ दिया जाता हैं
और उस आसमान के तले होता हैं
उड़ने से पहले हर बात पर हद से ज्यादा विचारना...
हर कदम से पहले सोचना और सोचना इतना की
अगले कदम की चाह ही कही खो जाए
और फिर भी उसे मंजिल मिल गयी यह मान लिया जाए !!!
सब पहले अपना सोचते हैं
कभी किसी ने पहले उसका सोचा !!!
वो उस से खुश हैं
क्यूंकि वो शायद उसके काम से खुश हैं
या काम के प्रति उसके रवैय्ये से खुश हैं...
शायद उसकी संवाद कला से
और या तो उसकी लेखन प्रतिभा से संतुष्ट हैं...
लेकिन इसलिए नहीं की वो स्वयं के प्रति इमानदार हैं...
या क्यूंकि यह काम उसका उद्देश्य हैं
क्यूंकि वो कुछ कर गुजरने की
कुछ बदलाव लाने की उम्मीद देखती हैं और उसके साथ
उन सपनो को बून-ने और उसका ताना-बाना
बनाने का ज़ज्बा भी रखती हैं...
सब पहले अपना सोचते हैं
कभी किसी ने पहले उसका सोचा !!!
वो उस से प्यार करते हैं
उसकी परवाह भी करते हैं, उसके लिए पसेसिव हैं
पर ये सब भी तो बेवजह नहीं ..
वो इन सब की कोई वजह नहीं समझते
क्यूंकि कहने को प्यार तो बस बेवजह होता हैं ..
पर वो उसकी निच्छ्लता को नहीं भाप पाते
वो नहीं जान पाते ..
उसकी चाहत उनसे, जैसे उनकी उससे ... !
वो कहते हैं - 'मैं' और 'तुम' अलग नहीं
'हम' हैं, पर इस में भी तो कुछ अहम् हैं !
वो चलना तो चाहते हैं साथ ..
मगर हमसफ़र की तरह !
एक साथी, एक हमकदम बन नहीं !!!
सब पहले अपना सोचते हैं
कभी किसी ने पहले उसका भी सोचा होता . . .