Friday, August 24, 2012

सही मुकाम

थाम लू जिसे वो सही मुकाम अब तक आया नहीं
अपनी ही नज़र में काबिल खुद को कभी पाया नहीं हमने

फैसले हमारे थे ना अब हमारे हो सकेंगे कभी
अपने ही फैसलों से हर मोड़ पर जख्म खाया हमने

कसूर किसका हैं यह बताना तो मुमकिन नहीं
खैर, हर वक़्त खुद को ही ग़लत पाया हमने

जो गुज़र गया वो लम्हा ना लौट कर आएगा कभी
फिर भी क्यूँ एक पल भी नहीं उन्हें भुलाया हमने

सफ़र आसा तो नहीं मगर चलना उम्र भर है
सब साथ हैं फिर भी खुद को तन्हा पाया हमने

ज़िन्दगी में हमेशा जो चाहो वो मिलना ज़रूरी तो नहीं
वो चाँद ना सही उन सितारों को ही हमराह बनाया हमने !